भारतीय संविधान दिवस
भारतीय संविधान दिवस,
जिसे संविधान दिवस के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है।
यह दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और संविधान में निहित मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों की याद दिलाता है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमिसंविधान सभा का गठन:स्वतंत्र भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए कैबिनेट मिशन योजना के तहत 1946 में भारत की संविधान सभा का गठन किया गया था। सभा में विभिन्न प्रांतों और रियासतों के प्रतिनिधि शामिल थे, जिनके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. बी.आर. थे।
अम्बेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान का मसौदा तैयार करना:लगभग तीन वर्षों तक चले गहन विचार-विमर्श और चर्चा के बाद, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंतिम रूप दिया। दस्तावेज़ को औपचारिक रूप से इस दिन अपनाया गया था, लेकिन यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे 1930 में पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा का सम्मान करने के लिए चुना गया था। संविधान दिवस क्यों?: भारत सरकार ने 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया, जो डॉ. बी.आर. की 125वीं जयंती वर्ष है। अम्बेडकर, संविधान के प्रमुख वास्तुकार।दिन का महत्वसंस्थापक पिताओं को श्रद्धांजलि:संविधान दिवस डॉ. बी.आर. जैसी शख्सियतों के दूरदर्शी नेतृत्व का जश्न मनाता है। अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और अन्य जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी। संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना:यह दिन संविधान में निहित न्याय, समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के सिद्धांतों का पालन करने के महत्व पर जोर देता है। जागरूकता और शिक्षा:स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थान संविधान में उल्लिखित अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने के लिए बहस, प्रश्नोत्तरी और व्याख्यान जैसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं लंबाई और विविधता:
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जो भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने की विविधता को दर्शाता है।संघीय संरचना: यह एक मजबूत केंद्र सरकार के साथ एक संघीय प्रणाली स्थापित करती है। मौलिक अधिकार: समानता, स्वतंत्रता और भेदभाव से सुरक्षा जैसे आवश्यक अधिकारों की गारंटी देता है।निदेशक सिद्धांत: एक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के लिए राज्य को दिशानिर्देश प्रदान करता है। संशोधनशीलता: कठोरता और लचीलेपन को संतुलित करता है, जिससे उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए संशोधन की अनुमति मिलती है। इसका अवलोकन कैसे किया जाता है?प्रस्तावना पढ़ना: संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए नागरिक अक्सर प्रस्तावना पढ़ते हैं। घटनाएँ और गतिविधियाँ: विभिन्न सार्वजनिक और निजी संगठन राष्ट्र निर्माण में संविधान की भूमिका पर प्रकाश डालने वाले कार्यक्रम आयोजित करते हैं।सरकारी पहल: न्यायपालिका, कानून प्रवर्तन और अन्य सरकारी निकायों द्वारा कानूनी जागरूकता अभियान, सेमिनार और कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। भारतीय संविधान दिवस एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत की सामूहिक यात्रा की याद दिलाता है। यह नागरिकों को संवैधानिक आदर्शों को बनाए रखने और देश के विकास और सद्भाव में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।